panditjionline.com

ATTENTION

****वाराणसी के विद्वान पंडितों द्वारा पूजा पाठ**** ****India's No.1 Online Puja & Pandit Booking Services****
****वाराणसी के विद्वान पंडितों द्वारा पूजा पाठ**** ****India's No.1 Online Puja & Pandit Booking Services****

BOOK ONLINE PUJA

Uncategorized
रुद्राभिषेक पूजा का महत्व, विधि एवं लाभ

रुद्राभिषेक पूजा का महत्व, विधि एवं लाभ

रुद्राभिषेक दो शब्दों से मिलकर बना है, रूद्र और अभिषेक, रूद्र का अर्थ है दुखों को हरने वाला, जो कि भगवान शिव के विशेष रूप को दर्शाता है और अभिषेक का अर्थ होता है विभिन्न सामाग्रियों से स्नान करना। रुद्राभिषेक का अतीत पौराणिक काल से जुड़ा हुआ है। पौराणिक मान्यता के अनुसार जब भगवान राम माता सीता की खोज में लंका के लिए प्रस्थान कर रहे थे, तो इस समय उन्होंने रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना की और भगवान शिव के आशिर्वाद के लिए रुद्राभिषेक किया, क्योंकि वह जानते थे कि रुद्राभिषेक के माध्यम से भगवान शिव जीवन के दुखों का निवारण और पापों का नाश करते हैं। भगवान शिव की उपासना से भगवान राम का कार्य सफल हुआ।

रुद्राभिषेक पूजा का महत्व

रुद्राभिषेक पूजा हिंदू धर्म में भगवान शिव को समर्पित एक प्रमुख पूजा है, जिसके माध्यम से भगवान शिव की अराधना की जाती है। धर्मशास्त्रों एवं पुराणों में प्राप्त रुद्राभिषेक पूजा अत्यंत प्रभावशाली होती है जिससे भगवान शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं एवं भक्त को मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। भगवान शिव भक्तों के सारे दुखों को हर कर उनका जीवन सुख शांति और समृद्धि से भर देते हैं तथा भक्तजनों की कुंडली के दोष एवं ग्रहों को शांत करने में सहायक होते हैं।

क्यों किया जाता है रुद्राभिषेक

1. समर्पण भाव: रुद्राभिषेक पूजा भगवान शिव को समर्पित होती है, जो हिंदू धर्म में विशिष्ट देवता हैं। पूजा के माध्यम से हम उनका आभार प्रकट करते हैं, जिससे उनकी कृपा हम पर बनीं रहती है।

2. आध्यात्मिक महत्ता: रूद्राभिषेक में शुक्ल यजुर्वेद के अंतर्गत रुद्राष्टाध्यायी के मंत्रों से भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। जिसमें शिव की महिमा, गुणों, और शक्तियों का व्याख्यान किया गया है और लोगों के भीतर भगवान के लिए भक्ति का भाव जगाया जाता है।

3. धार्मिक उन्नति: रुद्राभिषेक भगवान शिव की कृपा, करूणा और आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए की जाती है, जिसमें धार्मिक, आध्यात्मिक एवं सांसकृतिक उन्नति के साथ आत्मिक विकास, शांति-समृद्धि, व्यापार का अभ्युदय एवं स्वास्थ्य की रक्षा होती है।

कब करें रुद्राभिषेक पूजा

यद्यपि रुद्राभिषेक पूजा वर्ष के किसी भी मास में करवाई जा सकती है, लेकिन पूजा के लिए श्रावण का महीना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि इस महीने में भगवान की विशेष कृपा बनीं रहती है। आचार्यों के द्वारा कुछ विशेष तिथियां निर्धारित की गईं हैं, इन तिथियों पर रुद्राभिषेक करने का विशेष महत्व होता है। ये तिथि प्रति महीने की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा, चतुर्थी, पंचमी, अष्टमी, एकादशी, द्वादशी तथा अमावस्या और शुक्ल पक्ष की द्वितीया, पंचमी, षष्ठी, नवमी, द्वादशी तथा त्रयोदशी तिथि हैं, इन तिथियों को शिववास कहा जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *